Madhu Arora

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अनोखी किस्मत

भाग 9
अनोखी किस्मत
अभी तक आपने पढ़ा, राधिका रघुनंदन जी के घर चली जाते हैं और वहां पर नंदू उसको अपनी मां जानकर बेहद प्यार कर रहा है और राधिका भी नंदू के प्यार में बंध गई है।
नंदू अपने घर के पास रहने वाली लड़की मिठ्ठी को अपनी मां से मिलाता है।
मिठ्ठी अपनी माँ सोनिया को घर जाकर बताती है, कि नंदू की मां वापस आ गई है।
सोनिया रघुनंदन जी के घर आती है।
 नंदू बोलता है सोनिया चाची देखो!
 " देखो मेरी मांँ आ गई है।
 नदी के किनारे बेहोश पड़ी मिली थी उनका इलाज कराया है और फिर  बाबा अपने घर ले आए।"
 सोनिया राधिका को देख कर बोली !"अच्छा हुआ बहन तुम आ गई नंदू बेचारा कब से मां के प्यार के लिए तरस रहा था।"
  
 राधिका ने सारी आप बीती सोनिया को सुना दी,"लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरा भाग्य है मुझे नन्दू से मिला देगा बरसों से ममता के लिए तरस रहा है।
   "अगर मैं उसको वह ममता दे सकूं इसमें क्या बुराई है इतने कम समय में ही इस से इतना लगाव हो गया है ऐसा लगता है कि जैसे ही है मेरा सगा बेटा है।
    तो सोनिया कहने लगी "अच्छा हुआ बहन मैं बहुत खुश हू नन्दू के  माँ मिल गई इससे अच्छा और क्या हो सकता है।"
  अभी मैं जाती हूं। और बाद में फुर्सत से बात करती हूं। "अभी मांँ के घर से आई हूं तो बहुत काम पड़ा हुआ है,और चली गई।" 
  बाहर से लोगों के शोर की आवाज आ रही थीं।
  रघुनंदन  ने बाहर आकर पूछा!" अरे क्या बात है उनमें से एक ने कहा कि बात तो क्या है कैसे कहे कुछ समझ नहीं आ रहा "।
  लेकिन आप से संबंधित है। समझ नहीं आ रहा कहांँ से शुरू करूंँ और कैसे कहूंँ "आप हमारे गांव के इज्जतदार इंसानों में गिने जाते हैं आपसे तो ऐसी उम्मीद बिल्कुल नहीं।"
   प्रधान जी !ऐसी कौन सी गलती कर दी ?"जो कि मुझसे उम्मीद नहीं थी जो आप ऐसा कह रहे हैं"। 
    आपके घर में कौन लड़की रह रही है।और क्या आपको किसी लड़की को अपने घर में रखना उचित  है ?
    'और आप जैसे व्यक्ति को यह शोभा नहीं देता! हम आपसे कह रहे थे कि आप  नन्दू के लिए शादी  कर लीजिए ।लेकिन आप राजी नहीं हुए ।आप ऐसा व्यवहार करेंगे लेकिन अब इस लड़की का आपके घर में रहना उचित नहीं है ।
    फिर सबके घरों में बहू बेटियां हैं ।आप ऐसा करेगे तो यह  एक समस्या है।"
    रघुनंदन जी कहते हैं आप लोग बैठिए कुछ जलपान ग्रहण कीजिए।
     नहीं नहीं हम जलपान जब ही लेंगे जब इस समस्या का समाधान हो जाएगा।
     रधुनंदन जी ने परेशान होते हुए, 
     हाथ जोड़ कर राम-राम की और क्षमा मांग कर विदा कर दिया।
      रघुनंदन  सिंह लेकिन बहुत ही विकट समस्या से जूझ रहे थे।
       उन्हें समझ नहीं आ रहा था राधिका से जाने के लिए कैसे कहें अगर कह दे तो  नन्दू का क्या होगा संतान का मोह सता रहा था।
    बहुत कष्टदायक होता है संतान का मोह और उसका समाधान ढूंढने लगे थे।
     इस समस्या का समाधान कैसे होगा्। दोपहर के खाने के लिए दीनूकाका खेतों से लौटे तो उन्होंने चिंतित अवस्था में रघुनंदन को देखकर पूछा क्या हुआ मालिक !आप ऐसे उदास क्यों बैठे हैं?
     किस सोच में हो ऐसी कौन सी चिंता सता रही है इससे पहले तो मैंने आपको कभी इस तरह नहीं देखा ?
     तो रघुनंदन जी कहने लगे बहुत बड़ी समस्या खड़ी हुई है ?
     ऐसा क्या हुआ मालिक !
     
     रघुनंदन जी बोले "अभी थोड़ी देर पहले गांव के कुछ लोग आए थे। और कह रहे थे  राधिका को घर  किस हक से घर मैं रखा है?"
     
      दीनूकाका रघुनंदन  काका कहने लगे "दुनिया का क्या है मालिक अपने स्वार्थ के लिए लोग कुछ भी बोलते हैं आप चिंता मत कीजिए बस यह बताइए उन लोगों की बातें कहीं राधिका बिटिया ने तो नहीं सुनी"?
      
       दीनूकाका ने रघुनंदन से पूछा;
        तो रघुनंदन  कहने लगे नहीं, "काका राधिका  को तो मुन्ना शेरु और मिठ्ठी नदी किनारे लेकर गए थे इस विषय में  राधिका को कुछ भी नहीं पता"।
        तो काका कहने लगा बहुत अच्छा हुआ जाने उसके दिल पर क्या गुजरती।
        राधिका, नन्दू, मिठ्ठी नदी किनारे से वापस आ गई।
        सोनिया मिठ्ठी को आवाज  देते हुए मिठ्ठी आओ घर चलो!
        "राधिका बोली !बहन खाना तैयार है आ जाओ खाना खा कर जाना"।
        
  सोनिया बोली ! नहीं नन्दू  की मां मैं घर जाऊंगी. बहुत देर हो गई है। राधिका ने कहा तो सोनिया बोली नहीं फिर कभी अभी तो मैं मिठ्ठी को लेने आई हूँऋ
   लेकिन बहन कल शाम को "तुमने बातों बातों में बताया था तो मैं दही वाली काली मिर्च बहुत पसंद है ,ओर तुम्हें बनाना नहीं आता आज मैंने बनाई थी तो मुझे अच्छा लगता अगर तुम थोड़ी सी चख लेती "।
   तो सोनिया ने पूछा और क्या बनाया है तुमने ?
   काली दाल,
    मिर्च ,और बाजरे की रोटी के साथ ताजा छाज।"
    सोनिया बोलीं।
"इतना सब कुछ तो बनाया है। और कह रही हो कुछ खास नहीं । बहन थोड़ी सी दही वाली मिर्ची दे दो बाकी फिर किसी दिन फुर्सत में बैठकर तुम्हारे हाथ का खाना खाऊंगी।
 सभी ने दोपहर का खाना खाया ।और अपने अपने काम में लग गए।  
 थोड़ी देर मे वीरमती काकी सोनिया के घर पहुंच गई और सोनिया से बोलने लगी। "देख सोनिया मेरा काम तो बताने का है बाकी अपना अच्छा भला बुरा खुद सोच लियो।
 वीरमति काकी कहने लगी प्रधान जी की नजरों में खोट आ गया है तुमने देखा नहीं वह ठाकुर साहब की उम्र में जो है लड़की कितनी छोटी है 10 साल का फर्क होगा दोनों की उम्र में तेरी छोटी लड़की है उसके ऊपर इन बातों का फर्क पड़ेगा "।
 हां और वह नंदू कह रहा है कि उसको वह नदी किनारे मिली क्या कोई ऐसी ही मां की पदवी दे देता है ।
 ऐसा कहीं होता है भला समाज कुछ भी नहीं होता समाज की रजामंदी कुछ भी मायने नहीं रखती ?"
 और उस लड़की का क्या है उसके आगे पीछे कोई नहीं है उसकी प्रतिष्ठा ठाकुर साहब की प्रतिष्ठा पर असर पड़ रहा है। ना कोई भी लड़की किसी गैर मर्द कैसे रह सकती है?
 
राधिका जैसे लोग बहुत मिलते हैं और मतलब पूरा होने पर चलते बनते हैं।"
 सोनिया कहने लगी "नहीं काकी राधिका तो ऐसी नहीं दिखती ।"
 तो काकी कहने लगी शुरू में सब सीधे ही देखते सोनिया!
 " मुझे क्या लेना देना तुम्हारे पड़ोसी है तुम्हारा तुम जानो मैं तो चली अपने घर ।
 दोस्तों बताइए आपको कहानी कैसी लग रही है।
 आपके लाइक और कमेंट मेरा हौसला बढ़ाते हैं अपनी सुंदर-सुंदर समीक्षाओं से मेरा हौसला बढ़ाइए धन्यवाद मिलते हैं अगले भाग में देखिए क्या होता है।



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1 Comments

Nice 👍🏼

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